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Saturday, September 3, 2016

Various Tulsi products and its Advantages

Various Tulsi products and its Advantages

चलो तो आज हम तुलसी के उत्पादन एवं उसके फायदे क्या क्या हे उसकी बात करेंगे. 
जैसा मेने पहले बताया की तुलसी हमारा पवित्र पौधा हे और वो भगवान कृष्णा का रूप माना जाता हे। 
मार्किट में बहुत सारे तुलसी के उत्पाद मिल रहे हे लेकिन कौन सा असली हे वो बताना थोड़ा मुश्किल होगा। बाजार में तुलसी की माला,उसका मुखवास,प्रसाद,तुलसी का पाउडर,तुलसी का तेल ऐसे ही काफी सारे प्रोडक्ट मिलते हे। और सही दौर पर इसका नियमित रूप से इस्तेमाल करने से काफी सारे फायदे भी मिलते हे। 
लेकिन आज की नयी पीढ़ी में इसका इस्तेमाल कम देखने को मिलता हे। लेकिन फिर भी ये कहना गलत नहीं होगा की इसके काफी सही नतीजे देखने को मिले हे।

1. तुलसी की माला 



तुलसी की माला बनाने में उसके पौधे की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता हे। उसके पौधे की लकड़ी को समान भाग में काट कर उसको धागों में डाल के बनाया जाता हे। काफी सारे तुलसी के प्रकार हे और इसी बजह से आपको काफी सारे प्रकार की तुलसी की माला बाजार में मिलेगी। 
उसकी कीमत रुपये १०० से लेकर हज़ारो तक होती हे। उसको आप तुलसी का मंत्र पढके पहन सकते हे। उसको आप अपने गले में या फिर अपने हाथो में पहन सकते हे। 
आप यदि खरीदना चाहे तो उसे इन्टरनेट के माध्यम से आर्डर भी कर सकते हे।



2.तुलसी का प्रसाद 

तुलसी की पौधे की पत्तियो का प्रसाद में इस्तेमाल किया जाता हे इससे पवित्र भी गिना जाता हे और काफी सारे फायदे भी होते हे। सत्यनारायण भगवान की पूजा के प्रसाद में भी पत्तिया का इस्तेमाल किया जाता हे। 



3. तुलसी की चाय 
इसका मेने पिसली पोस्ट में जिक्र कर दिया। 
4. भगवान की पूजा करने में तुलसी की पत्तियो का इस्तेमाल होता हे। 
5. तुलसी को आयुर्वेदिक औशध माना गया हे। इसलिए काफी सारी दवाइया बनाने में इस्तेमाल किया जाता हे। 
6. तुलसी के छोड़ का इस्तेमाल तुलसी विवाह होता हे उसमे भी किया जाता हे। 
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Monday, August 29, 2016

Tulsi Plantation

तुलसी रोपना

अब आप पॉट की डिजाईन से वाकिफ हे और आपने अपना पॉट पसंद भी कर लिया होगा तो पॉट को पसंद करने के बाद बारी आती हे तुलसी को रोपने या फिर उगाने की।

तो यहाँ पर में आपको बताता हु की तुलसी का प्लांटेशन कैसे किया जाता हे और आप किस तरह से अपने घर पर भी उसे प्लांट कर सकते हो।


तो सबसे पहले आपको तुलसी के बीज की जरूर पड़ेगी आप उसे ऑनलाइन आर्डर भी कर सकते हो। मेने कुछ अच्छे प्रोडक्ट के बीज की सीधी लिंक ऊपर दी हुयी हे आप सीधा buy now बटन का उपयोग करके मंगवा सकते हो।

तो अब आपने बीज तो मंगवा दिए होंगे तो अब आपको काली मिटटी चाहिए और उसकी मात्रा दो से तीन किलो होनी चाहिए। ये मात्रा आपके पॉट की साइज के ऊपर निर्भर करती हे। काली मिटटी को पॉट के अंदर डाल के उसमे १० से १५ बीज डालने हे।



आप बीज या फिर छोटे से पौधे का भी इस्तेमाल कर सकते हो। तो फिर बीज या फिर पौधा लगा कर उसमे थोड़ा सा पानी डाल दीजिये और उस पॉट को मुक्त जगह जैसे घर का आँगन या फिर बालकनी या फिर अपने घर की छत के ऊपर या फिर अपने गार्डन में रख दीजिये।

नियमित उसको अच्छा पानी दीजिये आपको कोई कीटनाशक या फिर कोई रसायन की आवश्यकता नहीं हे सिर्फ पानी ही काफी हे। 

१० से १५ दिन में आपका तुलसी बड़ा पौधा बन जायेगा। 

अब आप उसकी पूजा कर सकते हो और प्रसाद के रूप में इस्तेमाल भी कर सकते हो। 





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Saturday, August 27, 2016

Pot Design

तुलसी की पॉट की डिजाईन 

तुलसी घर में उगाने से काफी सारे फायदे होते हे। आप उसे अपने घर में या फिर घर के आँगन में या फिर छत के ऊपर पॉट रखकर लगा सकते हो। 

तुलसी को उगाने के तरीका में आपको बताता हु। 
तुलसी को उगने के लिए आपको उनका छोड़ लाना पड़ेगा वो आपको आपके नजदीक के रहनेवालो से मिल जाएंगा। उसके बाद आप को उस छोड़ को कोनसी जगह पर लगाना हे वो तय करना पड़ेगा। यदि आपने सोच लिया हे कहा पर लगाना हे तो विधि को शरू करते हे । यदि आप चाहे तो उसको सीधा जमीं पर भी ऊगा सकते हे लेकिन यदि आपको जमीं से ऊपर यानि की पॉट में लगाना हो तो आपको पॉट और काली मिटटी की आवश्यकता पड़ेगी। आपको तक़रीबन २ से ३ किलो तक काली मिटटी लेकर पॉट में डालनी होगी उसमे छोड़ के मूल को रखकर अच्छी तरह से पानी देना होगा। तो हो गया तुलसी का छोड़। 

यदि आप चाहे तो तुलसी के छोड़ को सीधा बाजार में से भी खरीद सकते हो,और चाहे तो पूरा छोड़ के साथ पॉट भी आपको बाजार में से मिल जायेगा। 

अब बात आती हे की पॉट केसा होता हे ?

यदि आप चाहे तो पॉट को बाजार में से खरीद सकते हे या फिर ऑनलाइन भी मंगवा सकते हे या तो फिर खुद ही अपना पॉट डिजाईन कर सकते हे। 

और पॉट की सुंदरता बढ़ाने के लिए आप उसे घर पर फूल से सजावट भी कर सकते हे. सामान्य रूप से पॉट की साइज १ . ५  * १ . ५  फिट होती हे और वो २. ५ फिट लंबा होता हे और आप काफी सारे डिजाईन के पॉट बाजार में देख कर आपके घर की साइज के हिसाब से पॉट ले सकते हो। 

मे यहाँ पर आपको थोड़े पॉट की डिज़ाइन दिखता हु।



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Tulsi Tea (Recipe and Benifits)

तुलसी चाय 



क्या आपने कभी तुलसी चाय बनाई हे?
चलो आज में आपको तुलसी चाय बनाने की विधि बताता हु।

तुलसी चाय के उपयोग क्या हे वो तो मेने आपको पहली पोस्ट में बताया। तो अब इसे बनाते कैसे हे वो देखते हे। 
तुलसी चाय बनाने के लिए आपको 10 से 15 मिनिट लगेंगे। 
मात्रा - 1 . 5 कप 

सामग्री 
1/4  कप तुलसी की पत्तिया
2  से 3  चमच्च निम्बू का रस 

विधि 
तुलसी की सारी पत्तिया को 1. 5 कप पानी में रख के मिश्रण को नॉन-स्टिक कड़ाई में अच्छी तरह मिलाके १० से १२ मिनिट तक मध्यम ज्योत से उबालना हे। 
बाद में कड़ाई को लेकर झरनी का उपयोग करके  उबले हुए रस को अलग करना हे।
और उस उबले हुए रस में निम्बू का रस डाल के अच्छी तरह से मिल जाये इसलिए हिलाना हे 

गरम चाय को कप में लेकर आप मजा ले सकते हो 'तुलसी चाय' का।

उसके बाद रस में निम्बू का रस मिलाना तो हे न बहुत ही आसान तरीका इसको बनाने का।

यदि आप तुलसी चाय में फ्लेवर डालना चाहे तो वो भी  हो।

इसके अलावा आप चाय में अदरक , इलयाशी ,शहद , लौंग एवं तज का इस्तेमाल करके अलग अलग फ्लेवर में बनके लुफ्त उठा सकते हे। 

आप तुलसी चाय का ऑनलाइन आर्डर भी करावा सकते हो। मेने कुछ लिंक निचे दी हुयी हे। 



  
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Uses Of Tulsi

तुलसी के उपयोग




तुलसी का सिर्फ धर्म के साथ नाता हे ऐसा नहीं हे उसके अलावा वो एक प्रकार की जड़ीबूटी भी हे। तुलसी को आयुर्वेदिक औषध माना जाता हे एवं उसका काफी सारी दवाईया और औषध में इस्तेमाल होता हे।

तुलसी की पत्तिया में काफी मात्रा में पुष्टिकर पाया जाता हे।


Principle
Nutrient  Value
RDA%
उर्जा
23 कि केल.
1%
कार्बोहाइड्रेट्स
2.65 ग्राम
2%
प्रोटीन
3.15  ग्राम
6%
टोटल फॅट
0.64 ग्राम
2%
फाइबर आहार
1.60 ग्राम
4%

ये सारे पुष्टिकर के कारन काफी सारी बीमारियो के इलाज में इसके मूल एवं पत्तिया का इस्तेमाल होता हे। 

सर्दी और बुखार

हल्का सा बुखार और सर्दी में तुलसी की पत्तिया का इस्तेमाल करने से फायदा होता हे। काफी सारे प्रकार के बुखार का इलाज की दवाईयां में तुलसी की पत्तिया का इस्तेमाल किया जाता हे। तुलसी की पत्तिया को पानी के साथ उबालके उनका सेवन करने से मलेरिया एवं डेंग्यू जैसे बुखार में उपयोगी साबित होता  हे। 

तुलसी की पत्तियो का काढ़ा बनाकर उसमे इलयासी का पावडर,चीनी और दूध मिलाकर तीव्र बुखार के दौरान भी इस्तेमाल किया जाता हे। 

तुलसी बहुत अच्छा कीटाणुनाशक एजेंट  हे और इसलिए वायरल कीटाणु और बेक्टेरिया से मानव शरीर को बचाता हे।  

खांसी और सांस की समस्या 

रोज सबेरे नास्ता से पहले तुलसी की पत्तिया को खाने से खांसी में आपको राहत मिलेंगी और वो भी बहुत जल्द और आपको अस्पताल जाने की भी जरूर नहीं होगी। 
उसको चबाने से भी खासी में राहत मिलेंगी। कफ सिरप बनाने में तुलसी की पत्तिया का इस्तेमाल होता हे। 
पत्तियो का काढ़ा,लौंग और हल्की मात्रा में नमक मिला कर सेवन करने से सांसो की समस्या में भी रहत मिलेंगी। 
यदि आपका गला ठीक तरह से काम नहीं (गले में खिंच खिंच) कर रहा हे तो आप उसमे भी तुलसी की पत्तिया को चबा कर ठीक कर सकते हे। 

चिकित्सा 

यदि आप कही पे गिर गए हो और आपको कही लगा हे या फिर थोड़ा सा खून बहा रहा हे तो उस समय पर घाव के ऊपर तुलसी की पत्तिया का रस या फिर चबाई हुयी पत्तिया भी लगाये जाने से घाव जल्दी से भर जाएंगे,और इससे आपको राहत भी मिलेंगी। 

गले की खराश 

जैसा मेने आपको पहले बताया की गले की खराश को दूर करने के लिए पत्तियो को चबाने से बहुत जल्द रहत मिलेंगी। इस समस्या में आप पत्तियो का रस भी ले सकते हो। 

बच्चो के रोगों में 

सामान्य बाल चिकित्सा में बुखार,दस्त,और उलटी जैसी बीमारियों में बच्चे को पत्तियो का रास देने से रहत मिलेंगी। 
पेट की समस्या में भी बच्चो को तुलसी के रस दिया जा सकता हे। 
पत्तियो का रस शहद में मिलाकर बच्चो को देने से सर्दी,खासी और गले समस्या को दूर किया जा सकता हे। 

पेट की समस्या 

ऐसा कहा जाता हे की सारे बीमारियों की जड़ आपके पेट से जुडी होती हे यदि आपका पेट साफ हो और पाचन क्रिया अच्छी चल रही तो आप काफी सारी बीमारियों से कौसो दूर रह सकते हो।
पेट की काफी सारी समस्या जैसे की पेट का गैस,कब्ज और पेट का मोटापा में आप तुलसी के रस का दैनिक सेवन करने से स्थायी रूप से समस्या का समाधान कर सकते हे।
वो आपके पाचन तंत्र की विधि को अच्छी करने में मदद करता हे और आप इससे अच्छा महसूस कर सकते हो।

वजन कम करना 

जी हा ! तुलसी के काफी सारे फायदे में ये भी आता हे। इसका इस्तेमाल करने से आप अपना वजन भी कम कर सकते हो लेकिन पत्तियो के रस का दैनिक रूप से इस्तेमाल करना पड़ेगा। रोज़ सबेरे ३० दिन तक रस का सेवन करने से आपको परिणाम खुद ब खुद मिल जाएंगे।

नेत्र विकार 

शरीर में कम विटामिन A की बजह से जो आँखों की कमजोरी और रतौंधी होती हे उसमे तुलसी की पत्तियो का रस बहुत फायदेमंद होगा। तुलसी की पत्तियो में विटामिन A की मात्रा 5275IU होती हे और इसके कारन उनका रस आँखों की कमजोरी और आँखों से जुडी दूसरी समस्याओ को दूर करेंगा।  

सांस में बदबू 

तुलसी की पत्तियो के रस के इस्तेमाल से सांसो की बदबू दूर होती हे। 

सौन्दर्य एवं त्वचा 

तुलसी की पत्तियो एवं उसके मूल का काफी सारी त्वचा से जुडी अंगराग की क्रीम और आदि में इस्तेमाल किया जाता हे। त्वचा से जुडी एक्ज़ीमा,मुँहासे और पिम्पल्स जैसी समस्या का समाधान तुलसी के रस का सेवन करने से दूर हो सकती हे। 

इसके अलावा त्वचा की खुजली और फंग में भी तुलसी असरकारक औषध साबित हुवा हे। 

बालो की समस्या 

बालो का कमजोर होना या फिर बालो का गिरना जैसी समस्याओ का इलाज़ भी तुलसी रस में छिपा हुवा हे।
अपने बालो को तुलसी के रस से साफ करने से रुसी,बालो का गिरना और कमजोरी से मुक्त हो सकते हो। 
ये आपके बालो को बढ़ने में भी मदद करेंगे ,काफी सारी हेयर कलर की कंपनिया तुलसी की पत्तिया का उपयोग करती हे। 

डायबिटीस और हार्ट की समस्या 

और अंत में महत्वपूर्ण उपयोग ....
अभी आप मार्केट में देखोंगे की तुलसी चाय (Tulsi tea) आयी हे और ये भी काफी सारी  समस्याओ के समाधान हेतु आप इसका इस्तेमाल कर सकते हो। इसका इस्तेमाल करने से डायबिटीस और हार्ट से जुडी समस्याओ में राहत मिलेंगी।  

किडनी की समस्या 

तुलसी की पत्तियो का रस निकालके उसका दैनिक रूप से सेवन करने से किडनी से जुडी समस्याओ का हल हो सकता हे। 

दूसरे उपयोग 

इसके अलावा तुलसी की पत्तियो और उसकी चाय बनाकर पिने से शीघ्रपतन,शरीर में स्फूर्ति एवं सेक्स से जुडी काफी सारी समस्याओ का समाधान मिल सकता हे।

आप यदि चाहे तो काफी सरे तुलसी के प्रोडक्ट को अपने घर मंगवा सकते हो।
जो आपको घर बैठे मिल जाएंगे ,मेने ऐसे ही कुछ प्रोडक्ट्स की लिंक निचे दी हे जिससे आप अपना मनपसंद प्रोडक्ट आर्डर कर सकते हो।



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Friday, August 26, 2016

Tulsi Worship

हिन्दू धर्म में काफी सरे पेड़-पौधे की पूजा-अर्चना की जाती हे और ये कोई असामान्य नहीं हे। उनमे तुलसी को सबसे पवित्रतम माना जाता हे। उनको घर के सदस्य के स्वरुप मानकर उनको घर के आँगन में लगाया जाता हे और रोज़ सबेरे और संध्या के समय उसकी पूजा की जाती हे। पूजा में दिया जलाकर उनको पित्तल के लोटे से पानी दिया जाता हे और दिया जलाकर प्रदक्षिणा की जाती हे,उनके पत्तो को कुमकुम का तिलक करके प्रसाद में इस्तेमाल किया जाता हे।

ये सब चीजे गांव और शहर में होती हे और ये परंपरा हे। जैसे की तुलसी लक्ष्मीजी का स्वरूप हे और लक्ष्मीजी धन की देवी हे तो इसी कारन धन प्राप्ती और सुख को बरक़रार रखने के लिए उसको लगाया जाता हे।

१० साल पहले तुलसी को घर के आँगन के बीचो बिच लगाया जाता था लेकिन अभी परंपरा में थोड़ा बदलाव  आया हे अभी गांव के घरो में तुलसी को लगाने के लिए मटका या फिर बर्तन का इस्तेमाल किया जाने लगा हे ,
बाजार में काफी सारे तुलसी के पोट आपको देखने को मिलेंगे और अभी तो आप उनकी घर बैठे खरीदी भी कर सकते हो।

 'तुलसी पॉट' केसा होता हे उनका आकार केसा होता हे और वो दिखने में केसा लगता हे वो में आपको अगली पोस्ट बताने वाला हु।

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Goddess Tulsi

पवित्रतम छोड़ - तुलसी

आपने ऊपर जो जलन्धर की कथा पढ़ी उनके अलावा हिन्दू शास्त्र 'देवी भागवत पुराण' के अनुसार दूसरी कथा का भी वर्णन किया गया हे।


हिन्दू शास्त्र 'देवी भागवत पुराण' के अनुसार तुलसी को हिन्दू देवी लक्ष्मी के रूप में माना जाता हे और वो धन की देवी कहलाती हे। वो बयान करता हे की भगवान विष्णु को तीन पत्निया थी,जिसमे माता लक्ष्मी,सरस्वति और गंगा थी। एक बार गंगा विष्णु के साथ में बैठी थी और कुछ बाते कर रही थी और ये सब सरस्वती देख रही थी और उसे वो अच्छा नहीं लगा और उसके कारनवश उसने गंगा को निचे घसीटा। वो देख के लक्ष्मी गंगा को बचाने के लिए दौड़ी। वो देख के सरस्वती ने लक्ष्मीजी को शाप दे दिया की वो पृथ्वी पर पौधा बन जाएं। गंगा और सरस्वती ने भी एक दूसरे को शाप दिया की वो दोनों नदी के रूप में पैदा हो। भगवान विष्णु ने लक्ष्मीजी को कहा की उनका थोड़ा सा हिस्सा ही पौधे में होगा और और बाकि उसके साथ रहेगा। और उसी समय के दौरान पृथ्वी पर राजा वृषध्वज (भगवान शिवजी का भक्त) ने उनके संरक्षक देवता को छोड़ के बाकि सारे देवतावो की पूजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया। ये देख के उत्तेजि सूर्य देव ने उनको शाप दिया की लक्ष्मी उनको छोड़ के चली जाये। इसलिए भगवान शिव सूर्य जी का पीछा करते हुए दोनों भगवान विसगणु के शरन में आये,उसने कहा की काफी सालो बाद वृषध्वज के वंशज का विनाश होगा लेकिन वृषध्वज के पोते धर्मध्वज और कुशध्वज लक्ष्मीजी की उपासना करके फिर से शक्तिशाली बन जायेंगे। तब लक्ष्मीजी के वरदान स्वरूप तुलसी और वेदवती बनकर दोनों के घर पुत्री के रूप में जन्म लेते हे। तुलसी अपना सुख और सारी सम्पति उनको देकर बद्रीनाथ में भगवान विष्णु को पाने के लिए तपस्या करने हेतु चले जाते हे। उनकी तपस्या से भगवान ब्रम्हा प्रसन्न होकर उसको वरदान देते हे की उनका विवाह दानव राजा शंखाचुड के साथ होने से पहले भगवान विष्णु के साथ होगा।
सुदामा की जो भगवान कृष्णा के मित्र थे उसको मिले हुए शाप की बजह से वो दानव राजा शंखाचुड के रूप में जन्म लेते हे। शंखाचुडकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने उनको विष्णु कवच का वरदान दिया था,और कोई भी उसे तोड़ नहीं सकता। शंखाचुड और तुलसी विवाह हो गया और उनकी ताकत और विष्णु कवच के कारन वो पुरे संसार में अपना आतंक फैलाने लगा। संसार को बचाने के हेतु भगवान शिव ने उनके साथ युद्ध का आह्वान किया। भगवान विष्णु ने शंखाचुड का रूप लेकर तुलसी की पवित्रता को नष्ट कर दिया।तुलसी की पवित्रता ख़त्म होने के कारन शंखाचुडका वध हुवा और सुदामा को मुक्ति मिली। तब भगवान विष्णु अपने स्वरुप में आकर तुलसी को पृथ्वी छोड़ कर फिर से लक्ष्मी (उनकी पत्नी) बनकर लौट आने को कहा। समय बीतने के बाद तुलसी का पार्थिव शरीर गन्दाकि नदी बना गया,और उनके बाल तुलसी का पौधा के रूप में परिवर्तित हो गया।

इनके अलावा और भी दो कथाये तुलसी के साथ जुडी हुई हे। इसका वर्णन जल्द ही अगली पोस्ट पर करूँगा। 

तो कुछ इस तरह की कथा का वर्णन हमारे वेदों एवं शास्त्र में किया गया हे।

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